नई दिल्ली। अक्सर आपको फिल्मों में जो दृश्य दिखते हैं और उनके साउंड को सुनते हैं, उन्हें कैसे तैयार किया जाता है, इसके बारे में शायद आपको अभी तक मालूम न हो, लेकिन हम आपको आज इसके बारे में बता रहे हैं। वैसे तो फिल्मों में ओरिजनल पर फोकस किया जाता है लेकिन कभी-कभी शूटिंग के दौरान ओरिजनल साउंड को स्टूडियो में ही तैयार किया जाता है। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल भी होता है, जैसे अगर थप्पड़ की आवाज निकालनी हो तो एक जोड़ी लेडीज चप्पलों को एक दूसरे से खूब तेज टकराएं, इससे थप्पड़ की आवाज हूबहू निकल आएगी।
आपको फिल्मों में बारिश के सीन भी खूब देखने को मिलते हैं। यह बारिश कृत्रिम की जाती है लेकिन इसकी साउंड ओरिजन लगे इसके लिए भी अलग तरीका अपनाया जाता है। फिल्म में बारिश की ओरिजनल आवाज डालने के लिए चावल, शक्कर और एक छाते का प्रयोग किया जाता है। एक फोली आर्टिस्ट दोनों हाथ में चावल या शक्कर को लेकर छाते पर गिराता है। इससे बिल्कुल वैसी ही आवाज निकलती है, जैसे बारिश हो रही हो। अगर हल्की बारिश का सीक्वेंस है तो चावल या शक्कर की मात्रा को कम रखा जाता है, साथ ही उसे छाते पर धीरे-धीरे गिराया जाता है। वहीं अगर तेज बारिश का साउंड लगाना है तो चावल या शक्कर के मोटे दाने को पूरी मुट्ठी भर लेकर छाते पर गिराया जाता है।