एचआरआईटी विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्त्व पर कार्यशाला आयोजित

गाजियाबाद। एचआरआईटी विश्वविद्यालय में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था बौद्धिक संपदा अधिकारों का महत्त्व। यह कार्यशाला विशेष रूप से विश्वविद्यालय के सभी स्कूलों के संकाय, विभागाध्यक्षों और डीन के लिए आयोजित की गई थी।
कार्यशाला का आयोजन सुबह 11 बजे ए ब्लॉक सेमिनार हॉल में किया गया। इसमें बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के महत्व और उनके शैक्षणिक क्षेत्र में उपयोगिता पर चर्चा की गई। यह कार्यशाला प्रतिभागियों को आईपीआर के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, और उनके अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई थी। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. हरीश कुमार तलूजा, डीन, एचआरआईटी विश्वविद्यालय और उद्योग से पूजा कुमार थे। डॉ. तलूजा ने आईपीआर के महत्व पर जोर दिया और बताया कि कैसे यह शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि आईपीआर न केवल नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करता है, बल्कि यह संस्थानों को आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है। पूजा कुमार ने उद्योग में आईपीआर के वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों को बताया कि कैसे उद्योग में आईपीआर का उपयोग किया जाता है और इसके द्वारा कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं। कार्यशाला में एचआरआईटी विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर डॉ. अंजुल अग्रवाल, डीपीएस एचआरआईटी कैंपस की मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. वैशाली अग्रवाल, डॉ. वी.के. जैन, डॉ. एन.के. शर्मा, डॉ. हरीश कुमार तलूजा, डॉ. अनिल कुमार त्यागी, डॉ. एम.के. जैन, डॉ. शिवा, डॉ. शबनम, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अतुल भूषण शामिल थे। एचआरआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस आयोजन की सराहना की और कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं हमारे शैक्षणिक समुदाय को जागरूक करने और उन्हें आईपीआर के महत्व को समझने में मदद करती हैं। कार्यशाला में संकाय सदस्यों, विभागाध्यक्षों, और डीन ने बड़ी संख्या में भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यशाला के माध्यम से एचआरआईटी विश्वविद्यालय ने अपने संकाय सदस्यों को आईपीआर के महत्व को समझाने और इसे अपने शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यों में लागू करने के लिए प्रेरित किया।

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